Category: गद्य

अंतिम रुदन
शिल्पा रैना 30 जून 1990 सुबह 08 बजे घर पर सुबह से एक असामान्य हलचल पसरी है। माँ उनींदी आँखों को खुला रखने की जद्दोज़हद…

प्रतिशोध
सुशांत धर विजय और रूफ़ बचपन के दोस्त थे और अपने स्कूल की क्रिकेट टीम के चहेते भी उनका रोल नंबर अगर एक और दो…

उसे मार दिया गया क्योंकि वह एक मुख़बिर थी, आपको कोई नुक़्सान नहीं पहुँचेगा
इंदू भूषण ज़ुत्शी दिन था 20 अप्रैल 1990 और सूरज चमक रहा था । लोग वसंत के आगमन की तैयारी में कड़ाके की सर्दी के…

एक अस्तित्वहीन घर की चाबियाँ
जिस समय 1947 में पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर द्वारा आयोजित मैट्रिक इम्तेहान के परिणाम घोषित किए गए, भारत और पाकिस्तान का विभाजन हो चुका था। जम्मू-कश्मीर…

वो किराए का घर और फ़्लैट
हिना कॉल किराए का घर छोड़कर अपने इस नए फ़्लैट में आए मुझे इक्कीस साल गुज़र चुके हैं। ये साल व्याकुल, परित्यक्त और वीरान से गुज़रते…

काठजामुन
नम्रता श्रीवास्तव परिहा के घर की ओर जाने वाले ‘उसके’ पाँव अपना कार्य सुचारू ढंग से कर रहे थे, किन्तु कान से लेकर मस्तिष्क तक…

मि. वॉलरस
मनीषा कुलश्रेष्ठ विंडचाइम हवा में डोला और मेरी नींद खुल गई। मैं एक उदास सपने के आग़ोश में वैसे ही सोया था, जैसे तूफ़ान भरी…

जनता छाप इंटेलेक्चुअलता का लेखक
प्रभात रंजन ‘इंटेलेक्चुअलता’, अमृतलाल नागर का दिया हुआ शब्द है। जोशी जी उन्हें अपना पहला कथा गुरु मानते थे। मुझे याद है कि शुरुआती मुलाक़ात…