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एक अस्तित्वहीन घर की चाबियाँ
जिस समय 1947 में पंजाब विश्वविद्यालय, लाहौर द्वारा आयोजित मैट्रिक इम्तेहान के परिणाम घोषित किए गए, भारत और पाकिस्तान का विभाजन हो चुका था। जम्मू-कश्मीर…

वो किराए का घर और फ़्लैट
हिना कॉल किराए का घर छोड़कर अपने इस नए फ़्लैट में आए मुझे इक्कीस साल गुज़र चुके हैं। ये साल व्याकुल, परित्यक्त और वीरान से गुज़रते…

काठजामुन
नम्रता श्रीवास्तव परिहा के घर की ओर जाने वाले ‘उसके’ पाँव अपना कार्य सुचारू ढंग से कर रहे थे, किन्तु कान से लेकर मस्तिष्क तक…

आदमी होने से बेहतर होता है एक पेड़ होना
नरेन सहाय 1 आदमी होने से बेहतर होता है एक पेड़ होना (1) उस दिन जामुन के नीचे प्रेमरोपा था हमने जैसे किसान रोपता है…

अनुकृति उपाध्याय
ये एक बीहड़ दौर है। बाहर-भीतर के भय हमें संत्रस्त कर रहे हैं, अनिश्चितता का घुन वर्तमान और भविष्यत की लकड़ी में घर कर गया…

मेरे घर का पुराना स्विच
वसी ज़ैदी 1 क़बीले लाहौर के जिस क़बीले से उसका ताल्लुक़ था वो अमृतसर के एक क़बीले का पुराना दोस्त था।एक दफ़ा दोनों को किसी…

मैं तितलियों का घर हुआ हूँ अभी-अभी
हर्ष भारद्वाज 1 अब जब कि मैं यहाँ बैठा हूँ, इस नदी के किनारे और मैं यह कभी जान नहीं सकता कि यह कोई ख़्वाब…

मि. वॉलरस
मनीषा कुलश्रेष्ठ विंडचाइम हवा में डोला और मेरी नींद खुल गई। मैं एक उदास सपने के आग़ोश में वैसे ही सोया था, जैसे तूफ़ान भरी…

जनता छाप इंटेलेक्चुअलता का लेखक
प्रभात रंजन ‘इंटेलेक्चुअलता’, अमृतलाल नागर का दिया हुआ शब्द है। जोशी जी उन्हें अपना पहला कथा गुरु मानते थे। मुझे याद है कि शुरुआती मुलाक़ात…